गुलकंद के 11 फायदे और नुकसान (Gulkand khane ke fayde in hindi)

क्या आप जानते हैं पान में स्वाद और मिठास बढ़ाने वाला गुलकंद हमारे जीवन में स्वास्थ्य की मिठास भी घोल सकता है।

गुलकंद की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका सेवन खासतौर से गर्मियों में बहुत फायदेमंद होता है।

आयुर्वेदिक औषधियों को जानने के क्रम में आज हम गुलाब से बनाये जाने वाले गुलकंद के बारे में चर्चा करेंगे। इस क्रम में हम जानेंगे (Gulkand khane ke fayde in hindi) गुलकंद के फायदे और नुकसान और गुलकंद को कैसे खाएं। तो चलिए जानते हैं गुलकंद के क्या फायदे हैं।

गुलकन्द क्या होता है?
Gulkand kya hota hai?

गुलकंद गुलाब की ताज़ा पंखुड़ियों, मिश्री, सौंफ और इलाइची से मिलकर बना अवलेह है जो स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में प्रसिद्द है। इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए इसे खासकर गर्मियों में उपयोग में लिया जाता है। यह शरीर ठंडक और ताज़गी देता है।

स्वाद में मीठा और सुगन्धित होने के कारण यह अनेकों खाद्य पदार्थों में भी प्रयोग में लिया जाता है, जैसे मीठा पान। गुलाब के फूल को कई प्रकार की औषधियों में भी प्रयोग किया जाता है।(1)

गुलकंद खाने के फायदे / उपयोग (Gulkand khane ke fayde in hindi)

गुलकंद से बवासीर का इलाज

गुलकंद की तासीर ठंडी होती है और साथ ही यह पेट को भी साफ़ रखता है। भोजन आसानी से पच जाता है और मल गाढ़ा न होने से रोगी को काफी हद तक आराम मिलता है। गुलकंद पाचन क्रिया को सुधारता है और पाचन क्रिया को सुधारना बवासीर को सही करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। 

बवासीर में गुलकंद के फायदे अत्यंत प्रभावकारी है। इसका प्रभाव कुछ ही दिनों में देखा जा सकता है। (1) बवासीर में कब्ज़ होने पर परेशानी काफी बढ़ जाती है जो बवासीर की समस्या को और अधिक बढ़ा सकता है इसलिए सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए की बवासीर या कब्ज में गुलकंद कैसे और कितना ले। 

बवासीर में गुलकंद को कैसे खाएं

  • बवासीर में अगर कब्ज है तो सामान्य कब्ज़ में एक बार रात को सोने से पहले।
  • कब्ज अधिक होने पर दिन में दो बार सुबह-शाम खाने के एक घंटे बाद।
  • गुलकंद को खाने के एक घंटे बाद खाना चाहिए। इससे पाचन क्रिया अच्छी होती है।
  • इसे दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। 

(और पढ़ें- खूनी बवासीर का रामबाण इलाज)

Gulkand khane ke fayde in hindi

पेट की समस्याओं से राहत

उदर सम्बंधित अनेकों समस्याओं जैसे पेट में जलन, गैस, कब्ज, भूख न लगना और अपच आदि में गुलकंद का सेवन फायदेमंद साबित होता है।

गुलकंद को गुलाब की गुणकारी पत्तियों द्वारा बनाया जाता है जो कई औषधियों में भी प्रयोग की जाती है। गुलाब (Rosa Damascena) का प्रयोग पाचन क्रिया को सुधारने और सुचारु करने तथा कब्ज जैसी समस्याओं को सही करने के लिए भी किया जा सकता है, जिससे गैस जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है, क्योंकि गैस की समस्या अपच (Indigestion) से ही शुरू होती है। वैसे देखा जाए तो पेट की अधिकांश समस्याएं एक दूसरे से जुडी हुई है। पेट की समस्या का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से भी होता है, इसलिए अगर पेट सही होगा तो तो मस्तिष्क भी शांत एवं सही रहेगा।(6)

आँखों में फायदा

आपने बहुत बार आँखों को साफ़ करने के लिए गुलाब जल का प्रयोग तो किया ही होगा। गुलाब जल की तरह ही गुलकंद भी गुलाब की पंखुड़ियों से ही बना होता है। दरअसल गुलाब की तासीर ठंडी होने के कारण यह आँखों को ठंडक पहुँचाने, रोशनी बढ़ाने और Conjunctivitis (आँख आना), (Cataract) मोतियाबिंद, जैसे नेत्र रोगों में भी लाभ पहुँचता है। गुलकंद का सेवन सामान्य रूप से आँखों के लाल होने, सूजन आने जैसे समस्याओं में भी आराम देता है।(4)

मुंह के छालों में आराम

मुंह में छाले पर कई बार मीठा पान खाने की सलाह दी जाती है। दरअसल पान में मिलाया जाने वाला गुलकंद छालों को ठीक करने में कारगर सिद्ध होता है। गुलकंद की तासीर ठंडी होती है इसलिए यह छालों को ठीक करने में सहायक होती है तथा इसमें vitamin -B समूह की अधिकता पाई जाती है।(1) vitamin -B complex की कमी से मुंह में छाले होने की संभावना रहती है।(2)

इसके आलावा इसमें vitamin -C भी पाया जाता है जिसकी कमी से स्कर्वी (scurvy) रोग हो सकता है, जिसमे मसूड़े कमजोर हो कर दातों से खून आने लगता है। लेकिन गुलकंद का इस्तेमाल इन समस्याओं से निजात दिला सकता है।

गुलकंद के फायदे skin के लिए

गुलकंद में antioxident properties पाई जाती है और यह vitamin- E का भी एक अच्छा स्रोत है। vitamin- E त्वचा (skin) को सुन्दर और चमकदार बनाने के लिए अति आवश्यक vitamins में से एक है। यह चेहरे पर कांति लेकर आता है और चहरे को निखारता है।(9)

इसके अतिरिक्त गुलकंद ठंडी तासीर का होने के कारण गर्मियों में होने वाली त्वचा सम्बन्धी खुजली, घमोरियों और चेहरे के लाल चतकों से भी राहत देता है।साथ ही यह मुहासों और व्हाइटहेड्स से निजात दिलाने में सहायक है।(5)

पसीने और उसकी बदबू से छुटाकारा

गर्मियों में ज्यादा पसीना आता हो या पसीने से ज्यादा बदबू आती हो तो गुलकंद खाना बहुत ही अधिक फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यह शरीर को ठंडा रखता है और साथ ही साथ शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे शरीर से पसीने की दुर्गन्ध नहीं आती।

(गर्भावस्था) प्रेगनेंसी में गुलकंद खाने के फायदे (Gulkand ke fayde in pregnancy)

गर्भवती महिलाऐं अगर गुलकंद का सेवन करती हैं तो यह उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

  • नियमित रूप से गुलकंद का सेवन कब्ज की समस्या को दूर करता है और पाचन क्रिया को मजबूत करता है। इसके अलावा गुलकंद से बवासीर का इलाज करने में भी सहायता मिलती है। 
  • गुलकंद के सेवन से गर्भावस्था में शरीर में पानी की कमी नहीं होती, मतलब यह शरीर को डिहाइड्रेट नहीं होने देता।
  • इससे महिलाऐं मानसिक रूप से भी स्थिर रहती हैं।
  • इसके अतिरिक्त पेट की जलन और यूरिन इन्फेक्शन जैसी ससमस्यों से भी दूर रखता है।

गर्भवती महिलाऐं अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार गुलकंद का सेवन कर सकती हैं।

इस तरह से प्रेगनेंसी में गुलकंद खाने के फायदे काफी जबरदस्त है। 

महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गुलकंद के फायदे

Dysmenorrhea (डिसमेनोरीया) या (कष्टार्तव) या (menstrual cramps) महिलाओं में पाई जाने वाली सामान्य समस्या है जिसमे माहवारी के दौरान गर्भाशय में असहनीय पीड़ा होती है। बहुत सी महिलाऐं नियमित रूप से इस समस्या का सामना करती हैं। हालांकि इसमें चिकित्स्कीय उपचार की आवश्यकता होती है।

लेकिन आयुर्वेद में गुलकंद का उपयोग मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द में राहत देने में होता है। वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है की गुलाब की मात्र सुगंध ही माहवारी के दर्द से राहत प्रदान करने के लिए पर्याप्त है। Antibacterial (जीवाणुरोधी) होने के कारण गुलकंद योनि में संक्रामक बैक्टीरिया के विकास को कम करने में भी मदद कर सकता है।

इसके आलावा मासिक धर्म की अनियमितता, हैवी ब्लीडिंग या Leukorrhea (ल्यूकोरिया) जैसी समस्या में भी गुलकंद का सेवन अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।

गर्मी और लू से बचाने में गुलकंद के फायदे

गर्मी और लू से बचाने में गुलकंद अहम भूमिका निभाता है। गर्मियों में dehydration (डिहाइड्रेशन- शरीर में पानी की कमी) की समस्या बहुत आम है। लेकिन नियमित रूप से गर्मियों में गुलकंद का सेवन शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता। जिन्हें बाजार में धूप में आने- जाने का काम रहता हो उनके लिए तो यह अत्यंत लाभकारी है।

 पान में भी गुलकंद मिलाया जाता है। लेकिन पान में गुलकंद इतना असरदार नहीं होता क्योंकि कत्था और तम्बाकू से इसमें पाए जाने वाले गुण समाप्त हो जाते है।

मानसिक तनाव, थकान या कमजोरी में गुलकंद के फायदे

गुलकंद एक अत्यंत प्रभावकारी Antioxident (एंटीऑक्सीडेंट) के रूप में जाना जाता है। यह तंत्रिका तंत्र (nervous system) को मजबूत करता है और शारीरिक थकान, कमजोरी और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं को दूर कर शरीर को मजबूत और ऊर्जावान बनाने यह सक्रिय भूमिका निभाता है। गुलकंद की तासीर ठंडी होती है इसलिए यह दिमाग को ठंडा रखता है और शारीरिक और मानसिक थकान दूर करने में सहायक है।(3)

बच्चों के लिए गुलकंद के फायदे

कई बच्चों में भूख न लगने और शारीरिक दुर्बलता, सूखारोग की समस्या पाई जाती है। गुलकंद पेट से सम्बंधित समस्याओं जैसे भूख न लगना, कब्ज और अपच की समस्या में प्रभावी भूमिका निभा सकता है और बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य में सहायता करता है।

 इसके अतिरिक्त जुकाम, खाँसी, निमोनिया और कृमि विकार से उत्पन्न कमजोरी में भी फायदेमंद हो सकता है। गुलकंद बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में भी उपयोगी है। बच्चों को आधा या 1 चम्मच गुलकंद दूध के साथ दिन में 2 बार दिया जा सकता है।

सौंदर्य टॉनिक है गुलकंद
(Gulkand for fairness)

अगर हम अपने खाने-पीने में थोड़ा खयाल रखें और फल, सब्जियों और आयुर्वेदिक नुस्खों का इस्तेमाल करते रहें, तो न केवल निरोग रहेंगे, बल्कि सुंदरता भी बढ़ेगी। इनके सेवन से तन-मन हमेशा खिला-खिला लगेगा। कुदरत के खजाने में हमें स्वस्थ और सुंदर रखने के लिए बहुत कुछ है। इसी खजाने में एक नायाब चीज है गुलकंद ।

गुलकंद गुलाब की पंखड़ियों से बनता है। सुबह-सवेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब की दो कच्ची पंखुड़ियां खा ली जाएं, तो दिन भर ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है। गुलाब की पंखुड़ियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है। पंखुड़ियों को उबालकर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है।(10)

गुलकंद को कैसे खाना चाहिए और गुलकंद कब खाना चाहिए

  • गुलकंद को रोज सुबह खाली पेट भोजन से कम से कम एक घण्टे पहले दूध या पानी के साथ लिया जाना चाहिए।
  • सुबह खली पेट गुलकंद का सेवन उत्तम है लेकिन अगर आपका पेट साफ़ नहीं हो रहा तो आप रात में खाने के एक घण्टे बाद गुलकंद खा सकते है और ऊपर से दूध पी सकते हैं। इससे पेट साफ़ करने में सहायता मिलेगी।
  • अगर आप डायबिटीज (diabetes) या अन्य किसी रोग से ग्रस्त हैं, तो आपको इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।

गुलकंद बनाने की विधि (Gulkand banane ki vidhi)

आवश्यक सामग्री

  •  250 ग्राम गुलाब की ताजी पंखुड़ियां,
  •  500 ग्राम चीनी या मिश्री ( पिसी हुई ), (अगर आप मीठा कम खाते हैं तो मिश्री या चीनी का प्रयोग गुलाब की पंखुड़ियों के बराबर मात्रा में कर सकते हैं )
  •  एक छोटी चम्मच पिसी हुई इलायची और
  •  एक छोटी चम्मच पिसी हुई सौंफ लें

अब नीचे बताई गई विधि का प्रयोग करें।

Gulkand khane ke fayde in hindi

गुलकंद बनाने की विधि (Gulkand banane ki vidhi)

अगर 2- 4  लोगों के लिए गुलकंद बनाना हो तो- (Gulkand banane ki vidhi)

Step 1

दो-तीन अंजली भरकर गुलाब की ताजी व खुली पंखुड़ियां लें। अब कांच की बड़े मुंह की बोतल लें, इसमें थोड़ी पंखुड़ियां डालें,

Step 2

अब चाय की बड़ी चम्मच से चीनी डालें।

Step 3

फिर एक छोटी चम्मच पिसी छोटी इलायची तथा पिसी सौंफ डालें

Step 4

फिर ऊपर से पंखुड़ियां डालें। उसके बाद फिर चीनी। इस तरह से डिब्बा भर जाने तक करते रहें।

Step 5

इसे धूप में रख दें आठ-दस दिन के लिए बीच-बीच में इसे चलाते रहें चीनी पानी छोड़ेगी और उसी चीनी से बने पानी में पंखुड़ियां गलेंगी। (अलग से पानी नहीं डालना है) पंखुड़ियां पूरी तरह गल जाएं यानी सब एकसार हो जाएं तो समझिए कि तैयार हो गया आपका सौंदर्य बढ़ाने व बनाने वाला टॉनिक गुलकंद।(7)

गुलकंद के नुकसान (Gulkand side effects)

जब गुलकंद को बनाया जाता है तो इसमें किसी भी तरह के रसायन को प्रयोग में नहीं लाया जाता। इस वजह से इससे होने वाले नुकसान बिलकुल न के बराबर हैं।

हालांकि, गुलकंद को बनाने में हम शुगर का प्रयोग करते हैं। इसलिए, ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से हमारे शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ सकती है और यह हृदय रोग से ग्रस्त लोगों के नुकसानदायक हो सकता है।

अभी आपने पढ़ा कि जिस गुलाब के पौधे को हम घर- घर में सजावट के लिए लगाते हैं वो अनेक गुणों का खजाना है और हम गुलकंद या गुलाब जल के रूप भी इसे प्रयोग कर सकते है और यह अनेक अन्य औषधियों के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। हालांकि, इसका सेवन करने से सम्बंधित कुछ सावधानियों का ध्यान रखना विशेष रूप से आवश्यकता है। गुलकंद के फायदे और उपयोग को जानने के बाद आप बेझिझक हो इसे खाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त गुलकंद से जुड़े अन्य सवाल पूछने के लिए नीचे दिए गए Comment box में अपना सवाल लिख सकते हैं।

Faq / सामान्यप्रश्न

गुलकंद की तासीर कैसी होती है ?

गुलकंद की तासीर ठंडी होती है। 

कब्ज में गुलकंद कैसे और कितना ले ?

सामान्य कब्ज़ में एक बार रात को सोने से पहले।
कब्ज अधिक होने पर दिन में दो बार सुबह-शाम खाने के एक घंटे बाद।

गुलकंद कब और कैसे खाना चाहिए?

गुलकंद को खाने के एक घंटे बाद खाना चाहिए। इससे पाचन क्रिया अच्छी होती है। इसे दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। 

गुलकंद का सेवन कैसे करना चाहिए?

गुलकंद का सेवन दूध या पानी के साथ किया जा सकता है।
शिशुओं को आधा से १ ग्राम तक।
बच्चों को 2 से 3 ग्राम तक।
व्यस्क को 20 ग्राम तक। 
वृद्धावस्था में 5 ग्राम तक। 
गर्भवती महिलाएं 5 ग्राम तक।
 

क्या प्रेगनेंसी में गुलकंद खा सकते हैं?

जी हाँ, गर्भावस्था अर्थात प्रेगनेंसी में गुलकंद खा सकते हैं। लेकिन कितनी मात्रा में लिया जाये इस सम्बन्ध में डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। 
गर्भवती महिलाएं 5 ग्राम तक गुलकन्द का सेवन कर सकती हैं।

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