बवासीर जिसे Piles या Hemorrhouds के नाम से भी जाना जाता है। इसके सम्बन्ध में आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे। बवासीर मस्से का इलाज (khuni bawasir ka ilaj) के सम्बन्ध में बात करने से पहले यह जानना अति आवश्यक है कि बवासीर क्या है और इसके होने का कारण क्या है?
इसके बाद हम बवासीर के लक्षण और इलाज (Bawaseer ka ilaj gharelu nuskhe) के सम्बन्ध में बात करेंगे साथ ही साथ इलाज के दौरान सेवनीय आहार और परहेज के बारे में भी चर्चा करेंगे।
इस लेख में राजीव दीक्षित जी के द्वारा बताये गए बवासीर के इलाज की चर्चा करेंगे। यह बवासीर का घरेलू उपाय है जिसेसे कुछ सावधानियों, खान-पान में बदलाव और जीवनशैली में बदलाव से बवासीर इलाज संभव है। तो चलिए शुरू करते हैं खूनी बवासीर का रामबाण इलाज (Khuni Bawasir ka ilaj by Rajiv Dixit)।
खूनी बवासीर क्या होता है ? (Bawasir kya h?)
आयुर्वेदीय चिकित्सा प्रणाली में विशिष्ट निर्देशों के पालन को जरूरी समझा गया है, जो पतंजलि के अष्टांग योग से लिए गए हैं। अष्टांग योग में तीन पद – यम, नियम और आसन के पालन करने का निर्देश दिया गया है।
यम कहता है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना और घर से बाहर निकलकर खुले में स्वच्छ प्राणवायु का सेवन करना चाहिए।
नियम का आशय है कि सभी दैनिक क्रियाकलापों को सही तरीके से समयानुकूल पूरा किया जाए।
योगासन कुछ हल्के-फुल्के प्रकार की शारीरिक मुद्राओं को कहते हैं, जिसे नियमित रूप से करना स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है। योगासन में वज्रासन प्रमुख है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यम, नियम और आसन का पालन संभव नहीं हो पाता है, खासकर महानगरीय और उपनगरीय शहरों में स्थिति प्रकृति के बिल्कुल प्रतिकूल है।
यहां हरेक व्यक्ति की जीवन और कार्यशैली विभिन्न प्रकार की है। कोई डे-शिफ्ट में काम करता है, कोई नाइट शिफ्ट में। शिफ्ट ड्यूटी औसतन बारह घंटों की होती है।
इसके अलावा दैनिक व्यस्तताओं में घर से बाहर काम पर जाना एवं वापस घर आना भी शामिल रहता है। स्कूली बच्चों की भी स्थति ऐसी ही है। उनका जीवन भी अतिव्यस्त हो गया है। साथ ही खान-पान की अनियमितता और संयमहीनता ने कई रोगों को यूं ही बुलावा दे रखा है।
ऐसी जीवन शैली या दिनचर्या में कब्जियत की शिकायत आम बात हो गई है। कब्जियत के कारण कभी-कभी तो मलाशय का पूरा का पूरा भाग गुदा मार्ग से बाहर निकल आता है, जिसे फिश्चूला कहते हैं। इसका उपचार केवल शल्य चिकित्सा से ही संभव है।
वास्तव में बड़ी आंत के बाद नो इंच लंबा नाशपाती के आकार का एक सरलात्र होता है। इसक आंतरिक मांसपेशियों के संकुचन एवं प्रकुंचन के फलस्वरूप मल आगे की ओर बढ़ता है और गुदा भाग द्वारा उत्सर्जित होता है।
“अत्यधिक कब्ज के कारण मल के उत्सर्जन में अवरोध उत्पन्न होता है। अवरोध को खत्म करने के लिए कई बार दबाव देना पड़ता है और इसके फलस्वरूप किसी एक शिरा की नसें फूलकर फटने लगती हैं. जिससे रक्त स्त्राव होन लगता है। इसमें जलन और कुछ रगड़ने जैसा अनुभव होता है। इसी स्थिति को बवासीर कहते हैं।”
बवासीर का कारण (Bawasir ka kaaran)
मांस, मछली और अंडे समेत अत्यधिक गरिष्ठ खान-पान वाली जीवन शैली, जिसमें नियमित रूप से फास्ट फूड का सेवन शामिल हो, बवासीर का सामान्य कारण है। साथ ही, देर रात तक जागना, शराब पीना और मौसमी फलों का नियमित सेवन नहीं करना बवासीर के मुख्य कारण हैं। हमारे दैनिक भोजन में जितने भी अन्न, साग-सब्जी, मांस-मछली, अंडा-दूध, शुष्क फल आदि हैं, उनके पचने के लिए अलग-अलग अवधि लगती है।
स्टार्च को पचने में 22 घंटे लगते हैं, दूध को पचने में इतना ही समय लगता है। मांस, मछली, अंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक है, इसे पचने में 36 घंटे लगते हैं। बड़ी आंत में पाचन एवं शोषण की प्रक्रिया साथ-साथ चलती है।
देर से पचने वाले पदार्थ बड़ी आंत में रुक जाते हैं, जो गैस और आंव के बनने का सबब बनते हैं। यही आंव मल को आगे बढ़ने से रोकता है। रुका हुआ मल कुछ समय के बाद कब्ज का रूप ले लेता है और अंततोगत्वा बवासीर या खूनी बवासीर का कारण बन जाता है।
बवासीर का लक्षण क्या है? (bawasir k lakshan hindi me)
जानिए- बवासीर का लक्षण क्या है?
बवासीर के लक्षण निम्नलिखित हैं:-
- मल त्यागने के समय रक्त स्राव होना।
- गुदा क्षेत्र में सूजन, गांठ या फोड़ा या मस्सा होना।
- मल त्यागने के दौरान दर्द और जलन होना।
- गुदा क्षेत्र से मल के साथ बलगम जैसा स्राव होना।
- गुदा क्षेत्र में खुजली होना या असामान्य महसूस करना।
- मल त्यागने के बाद भी पेट साफ न होने का आभास होना।
Khuni Bawasir ka ilaj by Rajiv Dixit (बवासीर मस्से का इलाज)
बवासीर एवं खूनी बवासीर के इलाज (Bawasir ke ilaj) में हम ओल जिसे हम जमीकंद या सूरन भी कहते हैं, को औषधि के रूप व्यवहार में लाते हैं। बाज़ार में दो प्रकार के ओल मिलते हैं- गांठदार और बिना गांठ वाले मद्रासी ओल। गांठदार ओल को देशी ओल कहते हैं। औषधि के रूप में हम देशी ओल का उपयोग करते हैं।
ओल या जमीकंद में निकली गांठ को अलग करके उसके ऊपरी छिलके को हटा देते हैं। अब उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में (चने के आकार) में काट लेते हैं। इन टुकड़ों में मक्खन मिला देते हैं।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट मक्खन मिले ओल के पांच टुकड़े एक-एक कर निगलते हैं और ऊपर से एक गिलास पानी पी लेते हैं। यह उपचार केवल सात दिनों तक करते हैं। इसके साथ ओल को उबालकर, इसमें हरी मिर्च, नमक. सरसों का तेल और नींब मिलाकर चोखा बनाते है, जिसको उबले चावल के साथ सातों दिन खाना चाहिए।
बवासीर के इलाज में परहेज (Bawasir me kya nahi khana chahiye)
बवासीर के इलाज (Bawasir ke ilaj) के दौरान मांसाहार, खासकर बकरे, सूअर, खरगोश, हिरण जैसे पशुओं के मांस से परहेज करना होता है। मछली या अंडे का प्रयोग भी वर्जित है। ध्यान रहे कि आयुर्वेदीय चिकित्सा में रोग के उपचार से अधिक परहेज पर ध्यान दिया गया है।
बवासीर में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए (Khooni bawasir me kya khana chahiye)
बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिसमे खाने पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए नहीं तो परेशानी और अधिक बढ़ सकती है तो आइये जानते हैं कि बवासीर में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए।
खूनी बवासीर में क्या खाना चाहिए :-
बवासीर में सौंफ के फायदे
सौंफ की तासीर ठंडी होती है और यह पाचनक्रिया को भी सही रखने में बहुत मदद करती है इसीलिए खाना खाने के बाद हमें थोड़ी सौंफ और मिश्री खाना चाहिए।
पाचन तंत्र मजबूत होने से कब्ज की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है साथ ही सौंफ मुंह और पेट के अन्य कई रोगों से भी हमारी रक्षा करती है।
बवासीर में मूली खाना चाहिए या मूली का रास पीना चाहिए
मूली का रस पीओ। मूली के नीचे का जो सफेद हिस्सा होता है उसको पीसकर उसका रस निकाल लो और आधा कप मूली का रस खाना खाने के आधा पौना घंटे के बाद अगर आपने पीना शुरू किया तो यह बहुत अच्छे से आपके बवासीर और भगंदर जैसे रोग ठीक कर देगा।
बवासीर में मुनक्का खाना चाहिए
मुनक्का खाओ। 6-7 मुनक्के ले लो और रात को पानी में भिगो दो रात भर उसको पड़ा रहने दो और सवेरे मुनक्का तोड़कर उसका बीज निकाल दो। फिर मुनक्के चबाकर खाओ और पीछे से पानी पीओ यह बहुत अच्छे से आपकी बवासीर ठीक करेगा।
बवासीर में अंगूर खाना चाहिए
ताजा अंगूर मिले तो अंगूर का रस पीओ काला अंगूर मिले तो और भी अच्छा है। अंगूर का रस बवासीर के इलाज में बहुत फायदेमंद होता है।
बवासीर में अजवायन खाना चाहिए
ऐसे ही अगर किसी को कब्ज़ हो जाए तो कब्ज के लिए घर में बहुत अच्छी एक दवा है- अजवायन।
अजवायन को गुड़ के साथ मिलाकर खाओ थोड़ी अजवाइन ले लो लगभग आधा चम्मच और थोड़ा सा गुड अजवाइन के साथ मिलाकर चबाकर खाओ पीछे से थोड़ा हल्का गुनगुना गर्म पानी पियो। यह पेट साफ करने में मदद करेगा।
बवासीर में गौ मूत्र पीना चाहिए
इसी तरह पेट साफ करने के लिए एक और अच्छी दवा जो अपने घर के आस-पास मिल जाती है वह है- देसी गाय का मूत्र (गौ मूत्र) देसी गाय का ताजा मूत्र सुबह खाली पेट पीने से पेट साफ़ करने में सहायता मिलेगी।
बवासीर में त्रिफला चूर्ण खाना चाहिए
त्रिफला चूर्ण पेट साफ़ के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा है। कहीं भी किसी आयुर्वेद की दवा की दुकान पर त्रिफला चूर्ण मिल जाएगा। एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने गर्म पानी के साथ रात को सोते समय कोई भी ले तो एकदम पेट साफ़ होता है।
पेट साफ़ करना बहुत जरुरी है क्योंकि अगर पेट साफ नहीं होगा तो सैंकड़ो बीमारियां आपको अपने आप आने वाली है। अपने घर में छोटी-छोटी चीजें जो बहुत सामान्य सी दिखती है वे बहुत बड़ी बड़ी बीमारियां ठीक करने वाली होती हैं।
बवासीर में सलाद और गुलकंद खाना चाहिए
अगर कब्ज़ की समस्या रहती है तो भोजन में सलाद को अधिक मात्रा में शामिल करना चाहिए क्योंकि सलाद खाने से पाचन क्रिया में काफी सुधार होगा इसके आलावा भोजन के कुछ देर बाद गुलकंद का भी सेवन कर सकते हैं। गुलकंद पाचन क्रिया को सुधारने में काफी कारगर है।
नोट (Note)
- सभी पक्षियों का मांस खाया जा सकता है। लेकिन जहाँ तक हो सके माँसाहार का सेवन न करें।
- खाने के बीच पाँच घंटे का अंतराल होना चाहिए।
- रेशेदार सब्जियों का भरपूर उपयोग वांछनीय रहता है मतलब रेशेदार सब्जियों का उपयोग भरपूर मात्रा में किया जाना चाहिए।
- मौसमी फलों का उपयोग करना चाहिए (लेकिन रस के रूप में नहीं इनका उपयोग बिना जूस बनाये किया जाना चाहिए)।
बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिए :-
तैलीय और मसालेदार चीजें
तेल से निर्मित खाने में अधिक मात्रा में फैट पाया जाता है जो बवासीर के दौरान स्थिति को और अधिक गंभीर कर सकता है। तेल और मसलों से बनी चीजें जैसे – समोसा, कचौरी और अन्य फास्ट फूड पाचन तंत्र को और अधिक कमजोर करती है और सूजन को भी बढ़ा सकती है।
चाय – कॉफी या कोल्ड ड्रिंक
चाय और कॉफी में कैफीने पाया जाता है जिससे शरीर में पानी की और अधिक कमी होती है और यह मल को और कठोर बना देता है जिससे मल त्यागने के दौरान दर्द और रक्तस्राव हो सकता है।
सिगरेट और गुटखा
बवासीर के दौरान सिगरेट और गुटखा खाना समस्या को और अधिक बढ़ा सकता है और सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
बवासीर का इलाज करने के लिए सही जीवनशैली (Bawasir ka ilaj karne ke liye sahi jeevanshaili)
अधिकांश मामलों में देखने में आया है कि बवासीर के इलाज (Bawasir ke ilaj) में दवा से अधिक असर जीवनशैली में किये गए परिवर्तन से आया है। बहुत से मामलों में तो बिना कोई इलाज किये बवासीर स्वतः ही ठीक हो जाता है।
जीवनशैली में किये जाने वाले आवश्यक परिवर्तन :-
अगर आपको बवासीर से निजात चाहिए तो वैद्य या डॉक्टर आपको सबसे पहले जीवनशैली में परिवर्तन लाने का निर्देश करेंगे-
- कब्ज बवासीर की मुख्य वजहों में से एक है इसलिए सबसे पहले आहार में परिवर्तन करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए अपने भोजन में अधिक से अधिक फल और सब्जियों तथा फाइबर युक्त आहार को शामिल करना चाहिए।
- बवासीर होने की स्थिति में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए।
- कैफीन युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन न करें क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं।
बवासीर के लिए योगासन (Bawasir ke liye Yoga in Hindi)
आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे योग आसन जो पाइल्स (Piles) यानी बवासीर के इलाज में काफी ज्यादा फायदेमंद होते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आजकल की जीवनशैली में सभी का खानपान अनियमित हो गया है जिसके चलते कब्ज़, गैस आदि की समस्या रहती है और यही समस्या आगे चलकर बवासीर का कारण बनती है।
दरअसल बवासीर में मलद्वार के आसपास की नसें सूज जाती है जिसके चलते मल त्यागते वक्त दर्द महसूस होता है साथ ही मलद्वार से खून भी आता है या फिर खुजली भी होती है।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति बहुत असहज महसूस करता है, परेशानी महसूस करता है और कभी-कभी यह समस्या इतनी बढ़ जाती है कि ऑपरेशन तक कि नौबत आ पड़ती है परन्तु आपको ऐसी किसी समस्या का सामना ना करना पड़े इसीलिए आज हम आपको बताएंगे बवासीर की समस्या को खत्म करने वाले कुछ योग आसन।
बवासीर के लिए बालासन योग
इसमें सबसे पहले हम करेंगे बालासन इस आसन को करने के लिए सबसे पहले घुटने मोड़कर बैठ जाएं, अब हाथों को ऊपर उठाएं और आगे जमीन की ओर रख दे, अपने माथे को भी जमीन से छुएं।
इस वक्त आपकी शरीर की मुद्रा पेट में पल रहे बच्चे की समान होती है। आपका नितंब दोनों एड़ियों के बीच होना चाहिए।
इस मुद्रा में कुछ सेकेंड रुके और वापस अपनी पूर्व अवस्था में आ जाएं। यह योग आसान कई सारे फायदों के साथ पाचन तंत्र को सुचारू रखता है तथा कब्ज की समस्या से निजात दिलाता है।
बवासीर के लिए पर्वतासन योग
बात करेंगे अब पर्वतासन कि इस आसन को करने के लिए पद्मासन की क्रिया में बैठ जाएं। मतलब आपका दाया पैर बाईं जांघ पर और बाया पैर दाएं जांघ पर होगा।
इसके बाद अपनी श्वास को अंदर भरते हुए मूल बंद करके अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ सीधा खड़ा कर लें और जितना हो सके अपनी सांस को रोक कर रखें फिर अपनी सास को धीरे धीरे छोड़ते हुए अपने हाथों को नीचे की ओर ले आए और अपने घुटनों पर रख दें।
अपने शरीर को पहले वाली अवस्था में ले आएं इस क्रिया को बार-बार दोहराते रहें और हर एक क्रिया में अपनी टांग को बदलते रहे। थक जाने के बाद यह क्रिया करना बंद कर दें और वापस पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
बवासीर के लिए पवनमुक्तासन योग
बात करते हैं अब तीसरे आसन की जिसका नाम है पवनमुक्तासन इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को साथ में कर लें हाथों को शरीर के साथ जोड़ लें गहरी लंबी सांस अंदर ले और सांस छोड़ते हुए अपने दाएं घुटने को अपनी छाती के पास लेकर आएं जंघा को हाथों से पकड़ते हुए पेट पर दबाएं।
दोबारा से एक लंबी गहरी सांस लें और साँस छोड़ते हुए अपने सर और छाती को जमीन से उठाएं, अपनी ठोड़ी को अपने दाएं घुटने से लगाए आसन में रहे और लंबी गहरी सांसे लेते रहे। ध्यान दें सांस छोड़ते हुए अपने घुटने को हाथों से कसकर पकड़ ले, छाती पर दबाव बनाएं, सांस लेते हुई ढीला छोड़ दें।
अब सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आ जाएं और विश्राम करेें।
अब यही क्रिया बाएं पैर के साथ करें और फिर दोनों पैरों के साथ करें आप चाहें तो आगे पीछे थोड़ा झूल सकते हैं। दाएं बाएं भी तीन-चार बार झूल सकते हैं और उसके बाद में विश्राम करें। तो अभी हमने आपको बताया वह योग आसन जो पाइल्स (Piles) यानी कि बवासीर की समस्या को खत्म करने में काफी कारगर माने जाते हैं लेकिन अगर उससे पहले अगर आपका पाचन तंत्र अक्सर बिगड़ा रहता है या आपको कब्ज की समस्या रहती है तो भी आप यह आसन जरूर करें ताकि बवासीर जैसी समस्या से आपको सामना ना करना पड़े।