शतावरी चूर्ण के फायदे, उपयोग और नुकसान (Shatavari churna ke fayde in hindi)

प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में शतावरी का प्रयोग महत्वपूर्ण औषधि के रूप में होता आया है। (Shatavari churna ke fayde in hindi) 

 शतावरी कांटेदार, 1 से 3 मीटर लंबाई का देवदार या चीड़ जैसी छोटी-छोटी पत्तियों वाला आरोही पौधा है, जिसके छोटे-छोटे सफेद फूल आते हैं। भारत में अनेक स्थानों पर शतावरी को सब्जी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ शतावरी वसन्त ऋतु की सब्जी के नाम से प्रसिद्ध है। 

शतावरी वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करता है। यह कैंसर रोधी, शोथ-हर, अम्लरोधी, दुग्धवर्धक, एंटी-डायरियल, मूत्र-वर्धक, कामोद्दीपक और अच्छा स्वास्थ्यवर्धक है।  तो चलिए जानते हैं शतावरी के फायदे और नुकसान।

शतावरी में पोषक तत्वों की भरमार :- 

  • शतावरी ग्लूटाथायोन, जिसे ‘एंटी-ऑक्सिडेंट्स का राजा’ कहा जाता है, का महत्वपूर्ण स्रोत है। यह कैंसर रोधी है, यकृत का शोधन करता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करता है। 
  • शतावरी में शतावरिन 1-4 नामक फाइटोईस्ट्रोजन (यानी पौधों में पाए जाने वाले स्त्री हार्मोन) होते हैं, जो स्त्रियों में विभिन्न हार्मोंस को संतुलित रखते हैं। 
     
  • शतावरी में हिस्टोन नामक प्रोटीन होते हैं, जो कोशिका के विकास व विभाजन की प्रक्रिया को संतुलित करते हैं और कैंसर के उपचार में योगदान देते हैं। 
  • शतावरी में विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन बी-कॉम्पलेक्स, पोटेशियम, जिंक और रूटिन होते हैं। इसमें वसा और कॉलेस्ट्रोल नहीं होते हैं। 

शतावरी के औषधीय उपयोग (Shatavari churna ke fayde in hindi):- 

अमेरिका की नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट शतावरी को ग्लटाथायोन का महत्वपर्ण स्रोत मानती है. जो उच्च कोटि का एंटी-ऑक्सिडेंट है और कैंसर रोधी है। शतावरी कैंसर, इन्फ्लेमेशन, क्षय रोग, कुष्ठ रोग, रतौंधी, वृक्क रोग, मिर्गी, दमा, ब्रोंकाइटिस, जीर्ण ज्वर, अम्लता, अपच, दस्त, पेचिश, आमाशय शोथ, हरपीज़, एड्स, सोर थ्रोट, मूत्रपथ संक्रमण आदि बीमारियों का उपचार करती है। 

शतावरी के फायदे महिलाओं के लिए (shatavari churna ke fayde in hindi for female) 

प्राचीन काल में आयुर्वेद में शतावरी का प्रयोग स्त्रियों के प्रजनन अंगों के कायाकल्प की आदर्श औषधि के रूप में होता आया है। 

  • यह सारे प्रजनन अंगों का शोधन करती है, शक्ति व पोषक तत्व उपलब्ध करवाती है। 
  • यह हार्मोन के असंतुलन से ग्रसित, रूग्ण, दुर्बल व कुंठित स्त्रियों में ऊर्जा का संचार करती है, रोग दूर करती है, संपूर्ण नारीत्व प्रदान करती है। 
  • प्रेम, भावनाएं व कामेच्छा जगाती और गर्भाशय को गर्भ धारण के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करती है। 
  • यह दुग्ध अल्पता से ग्रसित माताओं के आंचल में दुग्ध का संचार करती है। 

शतावरी का शाब्दिक अर्थ ही होता है जिसके सौ पति हों।’ यह वंध्यता गर्भपात, एमेनोरिया, डिसमेनोरिया, रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर श्रोणि शोथ (पी.आई.डी.), एंडोमेट्रियोसिस, प्रसवोपरांत दुर्बलता, रजोनिवृत्ति में होने वाली कठिनाइयों जैसे अस्तिमज्जा शोथ, हॉट फ्लेशेज़ आदि के उपचार में प्रयोग की जाती है। 

गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे (shatavari in pregnancy) :- 

प्राचीन काल से ही शतावरी का प्रयोग गर्भावस्था में होता रहा है। birth defect (जन्म दोष) की समस्या जिसमे शिशु के शरीर का कोई अंग प्रभावित हो सकता है , इस तरह की समस्याओं में शतावरी का सेवन बहुत फायदेमंद साबित को सकता है। इस बात को NCBI द्वारा भी एक रिसर्च पेपर के द्वारा प्रमाणित किया गया है कि शतावरी में पाया जाने वाला फोलेट भूर्ण के स्वस्थ विकास में मददगार हो सकता है। (1

इसके आलावा शतावरी का सेवन करने से शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ती है। शतावरी में इम्युनोमॉड्यूलेटर एजेंट होते है जो आवश्यकता के अनुसार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाये रखते है। यह माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह माँ और बच्चे को बिमारियों से बचाता है। 

  • सेवन के लिए गर्भवती महिलाऐं शतावरी, मुलैठी, सोंठ, भृंगराज और अजगन्धा समान मात्रा में ले कर इनका चूर्ण के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। 1 से 2 ग्राम चूर्ण को बकरी के दूध के साथ लेने से माँ और बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। 

स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए शतावरी (how to increase breast milk naturally in hindi) :- 

माँ बनने के बाद कई महिलाओं को शिशु को स्तन पान कराने के लिए स्तन में दूध की कमी की समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर गर्भावस्था के अंतिम दिनों में और प्रसव के बाद शतावरी का सेवन किया जाए तो माँ के स्तनों में दूध की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ सकती है। 

 शतावरी में सैपोनिन कंपाउंड पाया जाता है जो Galactogogues (गैलेक्टगॉग हार्मोन) को स्तनों में दूध के उत्पादन और वृद्धि के लिए प्रोत्साहित करता है। इस हार्मोन की मदद से शरीर में प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ता है , इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। 

NCBI द्वारा जारी रिसर्च पेपर के अनुसार clinical trial में गर्भवती महिलाओं को शतावरी की जड़ का चूर्ण देने से उनमें प्रोलैक्टिन की मात्रा तीन गुना तक बढ़ गई। 

  • इसके लिए शतावरी की जड़ का लगभग 10 ग्राम चूर्ण (10 mg Shatavari powder) को गाय के दूध के साथ लेने से स्तनों में दूध की वृद्धि होगी। अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान शतावरी का सेवन नहीं करती और प्रसव के बाद शतावरी चूर्ण लेना शुरू किया हो तो भी यह बहुत ही प्रभावी हो सकता है। 
  • शतावरी को गाय के दूध के साथ पीस कर भी इसका सेवन किया जा सकता है। इससे दूध का स्वाद और पोषण बढ़ता है। 
  • इसके आलावा शतावरी की जड़ का पेस्ट (1 से 2 ग्राम) भी गाय के दूध के साथ सेवन कर सकते है। 

शतावरी के फायदे पुरुषों के लिए (Shatavari ke fayde for male) 

पुरुषों के लिए भी शतावरी अच्छा स्वास्थ्यवर्धक है। शतावरी, अश्वगंधा, शिलाजीत आदि का मिश्रण कामोद्दीपक है और पुरुषहीनता, स्तंभन दोष, शुक्राणु अल्पता, शीघ्र स्खलन आदि यौन रोगों का कारगर उपचार है। shatavari benefits in hindi

शतावरी सेवन की विधि 

शतावरी को 4-5 मिनट पानी में उबालकर मिक्सर में उसे फेंटकर फ्रिज में रख दें और दो-दो चम्मच सुबह-शाम सेवन करें।

शतावरी के फायदे (Shatavari churna ke fayde in hindi)

शारीरिक कमजोरी दूर करने में शतावरी का प्रयोग 

वे लोग जो शारीरिक कमजोरी की समस्या से जूझ रहे हैं जैसे शरीर में ताकत की कमी, बहुत मेहनत न करने पर भी शरीर में थकान बने रहना या सुस्ती रहना तो ऐसे लोगों के लिए शतावरी बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकती है। शरीरिक कमजोरी में शतावरी को पहले घी में पका लिया जाए और और फिर उससे शरीर की मालिश की जाए तो यह सामान्य शारीरिक कमजोरी में बहुत फायदेमंद साबित होती है।

कैंसर के इलाज में शतावरी के फायदे 

शतावरी में ग्लुटाथायोन और सल्फोराफेन (Sulforaphane) नामक एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते है जो chemopreventive (कैंसर रोधी) है। इसके अतिरिक्त हिस्टोन नामक प्रोटीन कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करता है और कैंसर से लड़ने में भी सहायक है।(1

इसके आलावा Phytoestrogens (फाइटोएस्ट्रोजेन) शामिल होते हैं जिसका उपयोग स्तन कैंसर के उपचार के लिए किया जा सकता है। फाइटोएस्ट्रोजेन पौधे आधारित यौगिक हैं। उन्हें एस्ट्रोजन की कमी के कारण होने वाले लक्षणों और स्थितियों से निपटने में लाभकारी पाया गया है।

आँखों के रोग में शतावरी के फायदे 

Vitamin- A नेत्र रोगों के इलाज में काफी फायदेमंद मन जाता है।(1) शतावरी में vitamin- A पाए जाने के कारण यह आँखों के लिए लाभकारी है। Vitamin- A आँख में मौजूद रेटिना में पिग्मेंट (वर्णक) को बढ़ाने में सहायक होता है।(2) (3) इसके लिए- 

  • शतावरी की जड़ों का लगभग 5 – 6 ग्राम चूर्ण 100 – 200 मिली लीटर दूध में मिला कर उसे पका लें और फिर छान कर उसका सेवन करें। यह नेत्र रोग में लाभ पहुंचता है। 
  • शतावरी के हरे पत्तों को घी में भूनकर भी इसका सेवन किया जा सकता है। यह Night blindness (रतोंधी) की समस्या में विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होता है। 
  • शतावरी के अतिरिक्त घी, आंवला, शहद, त्रिफला, जौ, मूंग, परवल, बादाम, गाजर, संतरे और हरी पत्तेदार सब्जियां भी आँखों के लिए फायदेमंद होती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में शतावरी के फायदे 

शतावरी antioxidents (एंटीऑक्सीडेंट्स) से भरपूर है। साथ ही इसमें Vitamin- A, Vitamin- C और Vitamin- E भी पाए जाते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity system) को मजबूत करने तथा शरीर को अनेकों संक्रमणों से बचाने में सहायता करते हैं।(5) हालाँकि प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हम मौसमी सब्जियों और फलों को भी अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं। भोजन के साथ ही हमारी दिनचर्या की नियमितता भी प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करती है इसलिए हमें समय पर पर्याप्त नींद और सही समय पर भोजन करना चाहिए।(6)

अनिद्रा रोग (नींद आने की परेशानी) में शतावरी चूर्ण के फायदे 

अनिद्रा रोग जिसे हम Insomnia के नाम से भी जानते हैं। शतावरी का सेवन तनाव दूर करने में सहायक है। लेकिन इसके लिए आपको धूम्रपान एवं तम्बाकू का सेवन रोक देना चाहिए।(3) शोध के अनुसार अनिद्रा की परेशानी आमतौर पर पुरषों की बजाय महिलाओं में अधिक देखि जाती है।(4

वे लोग जो अनिद्रा रोग (Insomnia) से ग्रस्त हैं उन्हें 2 से 4 ग्राम शतावरी का चूर्ण ले कर उसे दूध में पका लेना चाहिए और इसे घी में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। शतावर चूर्ण अनिद्रा रोग में अत्यंत लाभकारी है।

वजन घटाने में शतावरी के फायदे 

वजन घटने के लिए कम कैलोरी और फाइबर से भरपूर भोजन सबसे ज्यादा फायदेमंद रहता है। शतावरी में काफी कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है और साथ ही यह फाइबर से भी युक्त है।(1) इसलिए जो लोग मोटापे से ग्रस्त है वे शतावरी को भोजन में शामिल कर सकते है। इससे आपका वजन भी नहीं बढ़ेगा और यह पोषक तत्वों से भी भरपूर है। इसे सब्जी के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।(2

इसके आलावा वजन घटाने या मोटापा काम करने के लिए आप शतावरी चूर्ण का भी प्रयोग कर सकते है। यह Antioxidents (एंटी-ऑक्सीडेंट्स) से भरपूर है और इसमें एंटी- बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और पेट से सम्बंधित समस्याओं को दूर करता है। यह वजन काम करने तथा उसे संतुलित रखने में सहायता करता है।

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