च्यवनप्राश के गुण (Chyawanprash khane ke fayde in hindi)

च्यवनप्राश - करे अनेकों रोगों का नाश। 

What is Chyawanprash? (च्यवनप्राश क्या है?) 

संस्कृत में, शब्द ‘प्राश’ विशेष रूप से तैयार भोजन के लिए प्रयोग किया गया है और ‘च्यवन’ उस ऋषि का नाम था, जिसके लिए इस आयुर्वेदिक पोषक सूत्र को उसकी युवा और जीवन शक्ति को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार किया गया था। तो जानिए च्यवनप्राश खाने के फायदे हिंदी में।  

चरक संहिता में उल्लेख मिलता है, अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधीय पौधों की खोज की और कुल 52 जड़ी- बूटियों के योग से च्यवनप्राश बनाया। यह आंवला, काकोली, अश्वगंधा, तुलसी,अमलकी, ब्राह्मी, अर्जुन, चंदन, जटामांसी, काली मिर्च आदि जड़ी- बूटियों से निर्मित होता है जो शरीरिक शक्ति संचार में अत्यंत उपयोगी है।  च्यवनप्राश का सेवन बच्चे, बड़े और बूढ़े सभी कर सकते हैं।(1)

च्यवनप्राश के फायदे इन हिंदी  (Dabur Chyawanprash khane ke fayde in hindi) 

Dabur Chyawanprash khane ke fayde in hindi

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।(Stimulates Immunity power) 

विटामिन c, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, कैरोटीन और विटामिन B काम्प्लेक्स जैसे अनेकों गुणों से भरपूर च्यवनप्राश रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity power) बढ़ाने और खांसी और जुकाम जैसी बीमारियों से बचाने के लिए जाना जाता है। 

च्यवनप्राश की प्राथमिक क्रिया प्रतिरक्षा को मजबूत करना है। चूंकि इसमें विटामिन C की मात्रा अधिक है इसलिए यह हीमोग्लोबिन और सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में सहायता करता है। 

स्मरणशक्ति और एकाग्रता में सुधार 

कहा जाता है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है”। इसके अतिरिक्त यह पाचन तंत्र दुरस्त रखता है जिसका सीधा असर मस्तिष्क पर पड़ता है। 

कब्ज में आराम दिलाता है 

यह मेटाबोलिज्म को दुरस्त करता है और अपच, एसिडिटी एवं पेट कि अनेक समस्याओं के निदान में कारगर है। लेकिन यह सही मात्रा में लिया जाना चाहिए वरना इसके दुष्परिणाम भी हो सकते है। 

वजन संतुलन 

यह पाचन तंत्र को सुधार कर शारीरिक वजन को संतुलित रखता है। च्यवनप्राश एक प्रभावी कार्मिनेटिव है जो शरीर में गैसों के स्वस्थ संचरण और शरीर के दूषित जमाव के नियमित उन्मूलन को बढ़ावा देता है। 

इसके अलावा, यह शरीर में रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है। उचित चयापचय को बनाए रखने में इसका अहम योगदान है। 

रक्त शोधक 

यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार है और खून को साफ़ करता है। जिससे त्वचा कि रौनक लोट आती है और कील- मुहासों से निजात दिलाता है। 

त्वचा कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है (Revitalizes skin cells) 

स्वस्थ और दीप्तिमान त्वचा को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, आंवला के उच्च एंटीऑक्सिडेंट तत्व मुक्त कणों (free radicals) से लड़ने में मदद करते हैं जो समय से पहले उम्र बढ़ने को बढ़ावा दे सकते हैं। आंवला त्वचा को भीतर से स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह मुँहासे कम करता है और त्वचा को प्राकर्तिक रौनक प्रदान करता है। 

स्वस्थ हृदय 

च्यवनप्राश स्वस्थ उम्र बढ़ने और बुद्धि, एकाग्रता और स्मृति को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। इसमें शामिल जड़ी-बूटियों में शक्तिशाली anti-anxiety और अवसाद-रोधी गुण भी हैं। हृदय स्वास्थ्य के लिए महान: अर्जुन, इस फार्मूले में पाई जाने वाली एक जड़ी-बूटी है जो हृदय स्वास्थ्य को मजबूत करती है और रक्तचाप को नियंत्रित करती है। 

(और पढ़ें- ह्रदय रोगों की रामबाण औषधि है अर्जुन की छाल)  

प्रजनन प्रणाली के लिए च्यवनप्राश

किंवदंती के अनुसार, च्यवनप्राश मूल रूप से बुजुर्ग ऋषि, च्यवन के लिए पौरुष को बहाल करने के लिए तैयार किया गया था, ताकि वह अपनी युवा दुल्हन को संतुष्ट कर सके। यह मामला होने के नाते, च्यवनप्राश को प्रजनन ऊतकों के पोषण और पुन: जीवित करने के इरादे से तैयार किया गया था। 

यह प्रजनन प्रणाली को फिर से भरने और यौन गतिविधि के समय में महत्वपूर्ण ऊर्जा के नुकसान को रोकने के लिए एक टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। अधिक सामान्य शब्दों में, च्यवनप्राश प्रजनन क्षमता, स्वस्थ कामेच्छा का समर्थन करता है, और पुरुषों और महिलाओं दोनों में समग्र यौन शक्ति का निर्माण करता है 

बालों के लिए च्यवनप्राश के फायदे (Benefits of Chyawanprash for hairs) 

बालों के पोषण के लिए च्यवनप्राश एक super food supplement है। आप इसपर पूर्णतः निर्भर रह सकते हैं।इस उत्पाद को बनाने के लिए विशिष्ट एवं प्राकृतिक जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता हैं। यह आंवला, घी, तिल का तेल, शहद और कई अन्य हर्बल सामग्री का मिश्रण है जो बालों के लिए फायदेमंद होते हैं। 

आंवला, इसके मुख्य घटक विटामिन C से समृद्ध है और एंटीऑक्सिडेंट के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है। यह बालों के फॉलिकल्स को मजबूत करता है, बालों को पतला करने और समय से पहले बालों को सफ़ेद होने से रोकता है। आंवला में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट मुक्त कणों को बेअसर करते हैं, जिससे आपके बाल सुन्दर, चमकदार, स्वस्थ और मजबूत रखते हैं। 

शहद, एक अन्य महत्वपूर्ण घटक एवं एक प्राकृतिककंडीशनर के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह नमी को बरकरार रखता है, जिससे बाल रेशमी मजबूत होते हैं। यह एक प्राकृतिक humectant है इसलिए यह आपके बालों को घुंघराला होने से बचाता है और इस प्रकार बालों को टूटने से रोकता है। 

घी, सूखे और खुजली वाली खोपड़ी, रूसी और पतले बालों से निपटने में मदद करता है। आयुर्वेद चिकित्सक रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए घी के साथ आपकी खोपड़ी की मालिश करने की सलाह देते हैं जो बदले में बालों के विकास को बढ़ावा देता है। च्यवनप्राश में मौजूद घी तलवों को शांत करता है, दो मुंहे बालों को समाप्त करता है, आपके खोपड़ी और सूखे बालों को पुनर्जीवित करता है। 

तिलकातेल बहुत सारे बाल उत्पादों और उपचारों में उपयोग किया जाता है। अपनी प्राकृतिक अवस्था में तिल का तेल तनाव, बालों के सफ़ेद होने और सूखने (फ्रिज़) के कारण बालों के झड़ने का मुकाबला करता है। यह आपके बालों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है जो घूप की अधिकता के कारण होने वाले नुकसान को रोकता हैं। यह सिर की जूँ का भी इलाज करता है और इस प्रकार आपके सिर की सतह को नुकसान नहीं होता। 

अश्वगंधा की जड़ें बालों के झड़ने को काफी हद तक कम करती हैं और इसके एंटीऑक्सिडेंट और हार्मोन संतुलन करने वाले गुणों के कारण स्वस्थ, रेशमी और चमकदार बालों को बढ़ावा देती हैं। यह खोपड़ी के रक्त संचलन को बढ़ाता है और सूखी और खुजली वाली खोपड़ी से संबंधित विकारों से निजात दिलाता है। यह रूसी को कम करने में मदद करता है और बालों को चिकना और चमकदार बनाता हैं। 

च्यवनप्राश कब और कैसे खाना चाहिए ? (Chyawanprash khane ki vidhi) 

च्यवनप्राश को सीधा लिया जा सकता है और दूध या पानी के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है और ब्रेड पर लगाकर भी लिया जा सकता है।गर्म दूध के साथ लेना अधिक फायदेमंद है इससे यह कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करता है। वयस्कों के लिए सुबह- शाम नियमित खुराक 1- 2 चम्मच है और बच्चों के लिए दैनिक 1/2 चम्मच। 

कुछलोगोंकोयहगलतफहमीरहतीहैकिच्यवनप्राशकासेवनठंडेमौसममेंहीकरनाचाहिए, लेकिनऐसानहींहै।हर मौसम में इसका सेवन किया जा सकता है। अच्छे प्रभाव के लिए सुबह और शाम इसका एक से डेढ़ चम्मच सेवन हितकारी बताया गया है 

च्यवनप्राश का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पाचन शक्ति तेज होती है। याददाश्त बढ़ाने, किडनी की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने, लीवर को मजबूत बनाए रखने और श्वसन प्रणाली को दमदार बनाए रखने में च्यवनप्राश सहायक है। रही बात खोया यौवन पाने की, तो च्यवनप्राश का सेवन त्वचा को कांतिमय बनाता है। आंखों के नीचे से काले धब्बे, झाइयां गायब हो जाते हैं। 

च्यवनप्राश का सेवन शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं। जोड़ों का दर्द गायब हो जाता है। च्यवनप्राशत्रिदोषनाशकहै। कुल मिलाकर यह ऐसा पौष्टिक आहार है, जिसका नियमपूर्वक सेवन करने पर डॉक्टर के पास जाने की झंझट से छुटकारा मिलता है। 

Chyawanprash in pregnency (क्या च्यवनप्राश गर्भावस्था के लिए सुरक्षित है?) 

Chyawanprash-in-pregnency-क्या-च्यवनप्राश-गर्भावस्था-के-लिए-सुरक्षित-है?

कई आयुर्वेदिक चिकित्सकों का मानना है कि गर्भावस्था में च्यवनप्राश लिया जा सकता है क्योंकि यह विटामिन C का एक समृद्ध स्रोत है। गर्भवती महिलाओं को यह आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और बल्कि बढ़ती उम्र के बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करता है। 

गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान च्यवनप्राश का सेवन कर सकती हैं, हालांकि, इसे लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना सुरक्षित है। आपको उन अन्य सप्लीमेंट्स के बारे में भी परामर्श करना चाहिए जिन्हें आप गर्भावस्था के दौरान लेने की योजना बना रही हैं। 

यदि आपका डॉक्टर इसे लेने की अनुमति दे तो आप च्यवनप्राश या किसी अन्य पूरक का सेवन कर सकती हैं। डॉक्टर से खुराक के लिए पूछें और फिर आप इसे बिना किसी डर के ले सकते हैं। 

In which case, Chyawanprash should not be consumed. (किस अवस्था में च्यवनप्राश का सेवन नहीं करना चाहिए।)

जिन लोगों को अल्सर की परेशानी है उन्हें Chyawanprash का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा डायरिया और अपच की समस्या से पीड़ित लोगों को भी इससे दूर रहना चाहिए। इसमें कई ऐसी बुटियां मौजूद हैं जिससे शरीर में गर्मी पैदा होती है। इसलिए एक दिन में 1 चम्मच खाना काफी होता है। 

Side Effects of Chyawanprash (डाबर च्यवनप्राश खाने के नुकसान) 

हालाँकि च्यवनप्राश में प्राकृतिक तत्व मौजूद होने के कारण इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। फिर भी किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं है और NCBI में दिए गए एक शोध के अनुसार निर्धारित मात्रा तक च्यवनप्राश का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद है, लेकिन अधिक मात्रा में निम्नलिखित दुष्प्रभाव होने की सम्भावना है।(1) 

दांत खराब हो सकते है 

च्यवनप्राश को अधिक मात्रा में लेने से मल के पतले होने या दस्त लगने की समस्या हो सकती है। दस्त से बचने के लिए आपको कुछ समय के लिए इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। 

मल का पतला होना या दस्त लगना 

च्यवनप्राश में सबसे अधिक मात्रा आंवले की होती है जिसे रात के समय खाने से दांत ख़राब हो सकते हैं।  

पेट में जलन 

कुछ लोगों को च्यवनप्राश खाने से पेट में जलन हो सकती है। यह मिश्रण में मौजूद जड़ी बूटियों के कारण हो सकता है। यदि आप ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो आप इसका सेवन करने के बाद बस दूध या ठंडा पानी पी सकते हैं। अगर किसी बीमारी या अन्य कारण से आपका इलाज चल रहा है तो डॉक्टर/ चिकित्सक की सलाह पर ही च्यवनप्राश का सेवन करें।  

उच्च शर्करा स्तर 

च्यवनप्राश में चीनी का प्रयोग किया जाता है इसलिए डायबिटीज के रोगियों को च्यवनप्राश के सेवन से बचना चाहिए। 

मधुमेह से पीड़ित लोगों को “No sugar ” ’डाबर च्यवनप्राश पैक का सेवन करना चाहिए। चीनी संस्करण कुछ लोगों में वजन बढ़ने का कारण हो सकता है। 

तो, आपको सही मात्रा में ही सेवन करने की सलाह दी जाती है। मधुमेह (diabetes) की समस्या में डॉक्टर/ चिकित्सक की सलाह पर ही च्यवनप्राश का सेवन करें। 

घर में च्यवनप्राश बनाने की विधि (chyawanprash banane ki vidhi) 

घर में च्यवनप्राश बनाने की सबसे आसान विधि तथा च्यवनप्राश के सेवन की सही विधि, लाभ तथा इस पर किये गए वैज्ञानिक शोध एवं इससे जुड़े इतिहास का संक्षिप्त विवरण देने हेतु इस लेख की शुरुआत करते हैं। 

च्यवनप्राश सामग्री (chyawanprash ingredients in hindi) 

अगर घर पर ही च्यवनप्राश तैयार करना हो, तो कोशिश करें कि किसी अनुभवी व्यक्ति की देखरेख में यह काम हो। च्यवनप्राश बनाने के लिए प्रधान द्रव्य आंवला लगभग पांचकिलो की मात्रा में लेकर इसे धोकर अच्छी तरह सुखाकर पोटली में बांध लें। 

किसी कलईदार बर्तन में 10 से 12 लीटर पानी लेकर उसमें संसाधन द्रव्य (पाटला, अरणी, गंभारी, विल्व और श्योनक की छाल; गोखरू, शालपर्णी, प्रष्टपर्णी, छोटी कटेली और बड़ी कटेली का पंचांग यानी जड़ समेत पूरा पौधा; पीपल, काकड़ासिंघी, मुनक्का, गिलोय, हरड़, खरेंटी, भुईआंवला, अडूसा, जीवंती, कचूर, नागरमोथा, पुष्करमुल, कोआठाडी, मुंगपर्णी, माषपर्णी, विदारीकंद, सांठी, कमलगट्टा, छोटी इलायची, अगर, चंदन, अष्टवर्ग की औषधियां (जीवक, ऋषभक, मेदा, मदामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, ऋद्धि और बुद्धि) या फिर इनके नहीं मिलने पर इनके विकल्प के रूप में खरेंटी, पंजासालब, छोटी शकाकुल, बड़ी शकाकुल, लंबासालब, काली मूसली, सफेद मूसली और सफेद बहमन की प्रत्येक की 50 ग्राम मात्रा लेकर पानी में डाल दें। 

च्यवनप्राश बनाने की विधि (chyawanprash banane ki vidhi) 

Step 1 

इसके बाद पोटली में बंधा आंवला भी इसी पानी में डाल दें। इस मिश्रण को तेज आग पर पकने दें। जब उबाल आने लगे, तो आंच धीमी कर दें और मिश्रण को लगभग डेढ़ घंटा तक इसी तरह पकने दें। फिर बर्तन को आग पर से उतारकर तकरीबन 10-12 घंटे तक के लिए सेहत का दाल ढककर रख दें। ऐसा करने से संसाधन द्रव्यों के औषधीय गुण आंवले में समा जाते हैं। 

Step 2 

इसके बाद संसाधन द्रव्यों को छानकर अलग कर लें। नरम पडे आंवले की गुठली निकालकर गूदा अलग कर लें। गूदे को मिक्सी में पीसकर चटनी जैसा बना लें। इस चटनी को महीन छलनी से छान लें। छने हुए अवलेह (चटनी) में पाव किलो घी और पाव किलो तिल्ली का तेल मिलाकर अच्छी तरह पका लें। 

Step 3 

जब मिश्रण पककर बादामी रंग का हो जाए, तो छाने हुए संसाधन द्रव्यों का काढ़ा इसमें मिला दें। फिर इसमें तीन किलो शक्कर (संवाहक द्रव्य) मिलाकर गाढ़ा होने तक पकाएं। आंच धीमी कर इस मिश्रण को अच्छी तरह चलाते हुए पकाएं। 

Step 4 

जब मिश्रण खुब गाढ़ा हो जाए, तो आग से उतारकर इसे ठंडा कर लें। फिर इसमें प्रेक्षप द्रव्य यानी 100 ग्राम पिप्पली, 150 ग्राम बंशलोचन, 50 ग्राम दालचीनी, 20 ग्राम तेजपत्र, 20 ग्राम नागकेशर, 20 ग्राम छोटी इलायची और दो ग्राम केसर का कपड़े से छाना हुआ चूर्ण मिला दें। मिश्रण ठंडा होने पर इसमें आधा किलो शहद मिला दें। इस तरह च्यवनप्राश तैयार किया जा सकता है। 

च्यवनप्राश में नहीं रही पहले जैसी बात 

चरक संहिता में उल्लेख मिलता है, अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधीय पौधों की खोज की और कला जड़ी-बूटियों के योग से च्यवनप्राश बनाया। आज बाजार में 25 से लेकर 80 घटकों तक के मिश्रण से बने च्यवनप्राश बिक रहे हैं। कुछ में तो सोना-चांदी के अंश होने का दावा किया जाता है। हालांकि कोई भी उपभोक्ता थोड़ा दिमाग दौड़ाए तो समझ आ जाएगा यह सब सिर्फ बाज़ार की बाजीगरी है। 

सच तो यह है कि हमने शुद्ध च्यवनप्राश बनाने के लिए उपयोगी जड़ी-बूटियों की रक्षा नहीं की और अब उनके विकल्प से काम चलाने को मजबूर हैं। 

नेशनलइंटीग्रेटेडमेडिकलएसोसिएशन (नीमा) कीरिपोर्टकहतीहैकिजलवायुपरिवर्तनऔरप्रकृतिसेछेड़छाड़केचलतेजीवक, ऋषभक, मेदा, मदामेदा, काकोली, क्षीरकाकोली, ऋद्धिऔरबुद्धिजैसीअष्टवर्गकीऔषधियांलगभगविलुप्तहोगईहैं। 

च्यवनप्राश की इन मूल औषधियों के स्थान पर अब शतावरी, अश्वगंधा, वराहीकंद और विदारीकंद का इस्तेमाल हो रहा है। इससे च्यवनप्राश की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है, क्योंकि वैकल्पिक औषधियों के मिश्रण में ताकत देने की वैसी क्षमता नहीं है। 

जानकार कहते हैं कि च्यवनप्राश बनाने के लिए 36 काष्टादिक औषधियों के काढ़े सहित कुल 55 घटकों की जरूरत होती है, लेकिन सबसे खास बात यह है कि हर तरह के च्यवनप्राश का मुख्य घटक आंवला है। 

आंवला अकेले ही शरीर में शक्ति का संचार कर बुढ़ापे को दूर भगाने की क्षमता रखता है, बशर्ते इसे ताजा खाया जाए। आंवला विटामिन ‘सी’ का बढ़िया स्रोत है। इसे सुखान या जलाने पर भी इसके भीतर से विटामिन ‘सी’ की मात्रा कम नहीं होती है। 

च्यवनप्राश के घटक द्रव्य 

आयुर्वेद के अनुसार च्यवनप्राशबनानेकेलिएमुख्यरूपसेपांचतरहकेद्रव्यइस्तेमालमेंलाएजातेहैं। 

  1. प्रधान द्रव्य - च्यवनप्राश का प्रधान द्रव्यआँवला है। 
  2. संसाधन द्रव्यये वो द्रव्य है जिनमें पानी डालकर आँवलों को हल्की आंच में पकाया जाता है। (आंवले के साथ उबाली जाने वाली काष्टादिक औषधियां (24 या 36 प्रकार की) संसाधन द्रव्य हैं।) 
  3. यमक द्रव्यघी और तिल का तेल यमक द्रव्य की श्रेणी में आते हैं। 
  4. संवाहक द्रव्यच्यवनप्राश को सुरक्षित रखने वाली शक्कर या मिश्री को संवाहक द्रव्य कहा जाता है। 
  5. प्रेक्षप द्रव्यप्रेक्षप द्रव्य में छोटी इलायची, शहद, तेजपत्ता, दालचीनी, केशर, नागकेशर, पिप्पली और बंसलोचन आते हैं। 

आयुर्वेद के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के बाद तोड़े गए आंवले ही च्यवनप्राश बनाने के लिए उपयुक्त होते हैं। 

हालांकि बाज़ार में जिस तरह च्यवनप्राश की मांग है, शायद ही कोई निर्माता इसका पालन करता हो। इसमें कोई दो राय नहीं कि च्यवनप्राश सेहत की ढाल है और ताउम्र स्वस्थ रहने के लिए इसका सेवन अमृत के समान है, लेकिन बाज़ार में उपलब्ध अधिकांश च्यवनप्राश को शुद्ध नहीं कहा जा सकता है। शुद्ध च्यवनप्राश तो तभी मिल सकता है, जब इसे अपनी आंखों के सामने तैयार किया जाए। 

च्यवनप्राश का इतिहास

च्यवनप्राश की इस लोकप्रियता में इसके असरदार होने के साथ-साथ इससे जुड़े मिथक की भी अहम भूमिका है। ऐसी कथा है कि राजा शर्याति की षोडशी पुत्री सुकन्या ने तपस्यारत च्यवन ऋषि की दीमक-मिट्टी के ढूहे से झांकती आंखों को कोई जंतु समझ उनमें तिनका घुसेड़ दिया। 

इससे क्रोधित च्यवन ऋषि के शाप से बचने के लिए राजा ने अपनी बेटी सुकन्या को ऋषि की सेवा सुश्रुषा के लिए सौंप दिया। 

बाद में सुकन्या के साथ अपने दांपत्य जीवन का तालमेल बिठाने के लिए च्यवन ऋषि देवताओं के चिकित्सक अश्विनी कुमार के पास गए, जिन्होंने वृद्ध तपस्वी को एक अवलेह प्रदान किया, जिसके सेवन से च्यवन ऋषि का यौवन लौट आया। इस दिव्य रसायन को ऋषियों ने च्यवनप्राश नाम दिया। 

आयुर्वेदाचार्यों ने अपनी सुविधा और समझ के हिसाब से च्यवनप्राश की उत्पत्ति की इस कथा का अलग-अलग तरीके से वर्णन किया है, लेकिन सबका सारांश यही है कि विशेष अवलेह के सेवन से वृद्ध तपस्वी के शरीर में शक्ति का संचार हुआ। 

विज्ञान के इस युग में हम इस कथा से यह संकेत निकाल सकते हैं कि सुकन्या जैसी युवावस्था में आहार-विहार के प्रति लापरवाही बरतने पर हमें च्यवन ऋषि की तरह उम्रदराज होने पर कई तरह की व्याधियों का सामना करना पड़ सकता है। च्यवनप्राश के सेवन से हम अपने शरीर में शक्ति का संचार बनाए रख सकते हैं। 

च्यवनप्राश सबसे ज्यादा बिकने वाला आयुर्वेदिक उत्पाद है  भारत के एक गैरसरकारी संगठन सोसायटी फॉर न्यू एज हर्बल्स ने अपने व्यापक ताजातरीन अध्ययन के बाद देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले 20 शीर्ष आयुर्वेदिक उत्पादों की एक सूची जारी की है, जिसमें च्यवनप्राश को अव्वल दर्जा हासिल हुआ है। इस अध्ययन के अनुसार देश में च्यवनप्राश की सालाना बिक्री 250 करोड़ रुपए से अधिक की है।

सबसे अच्छा च्यवनप्राश कौनसा है?

वैसे देखा जाये तो बाज़ार में बहुत से ब्रांड के च्यवनप्राश उपलब्ध हैं। सभी च्यवनप्राश सही हैं लेकिन अगर आप घर पर ही च्यवनप्राश बनाना चाहते हैं तो उसकी आवश्यक सामग्री और विधि यहाँ विस्तार से बताई गई है।

बाजार में मिलने वाले च्यवनप्राश में से सबसे बढ़िया डाबर चयवनप्राश है। आप इसे Amazon से खरीद सकते हैं।

डाबर च्यवनप्राश – 1 किलो कीमत

सामान्य प्रश्न / FAQ

च्यवनप्राश कब और कैसे खाना चाहिए? (chyawanprash kaise khaye)

च्यवनप्राश को सुबह खाली पेट खाना चाहिए, यह सबसे सही समय है। वैसे च्यवनप्राश का सेवन दिन में दो बार भी किया जा सकता है। च्यवनप्राश को किसी भी मौसम में खाया जा सकता है लेकिन सर्दियों में च्यवनप्राश खाना उत्तम है। 
 
अच्छे परिणाम के लिए च्यवनप्राश को हलके गरम दूध के साथ खाना चाहिए।

च्यवनप्राश कब नहीं खाना चाहिए?

अल्सर, डायरिया, डायबिटीज और अपच की समस्या वाले लोगों को च्यवनप्राश का सेवन नहीं करना चाहिए।

च्यवनप्राश कब लेना चाहिए?

च्यवनप्राश का सेवन दिन में दो बार किया जा सकता है लेकिन च्यवनप्राश का सेवन सुबह खाली पेट सबसे अच्छा है। 
वैसे तो च्यवनप्राश का सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है लेकिन सर्दी के मौसम में च्यवनप्राश का सेवन बहुत लाभदायक होता है। 

च्यवनप्राश कब नहीं खाना चाहिए?

जिन लोगों को अल्सर, डायरिया या अपच की समस्या हो उन्हें च्यवनप्राश का सेवन नहीं करना चाहिए।
इन बिमारियों में च्यवनप्राश के सेवन से समस्या और बढ़ सकती है।

क्या गर्मियों में च्यवनप्राश खाना चाहिए?

जी हाँ, च्यवनप्राश का सेवन गर्मियों में भी किया जा सकता है। गर्मियों में च्यवनप्राश का सेवन शरीर के लिए शीतलन प्रभाव वाला होता है।

क्या च्यवनप्राश गर्भावस्था के लिए सुरक्षित है?

जी हाँ, गर्भावस्था में च्यवनप्राश का सेवन किया जा सकता है। यह शरीर को मजबूत और दुरस्त रखता है। लेकिन गर्भावस्था एक नाजुक समय होता है इसलिए इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेना सही होगा क्योंकि किसी जड़ी बूटी का असर सब लोगों पर अलग- अलग होता है।

च्यवनप्राश दूध या फिर गर्म पानी के साथ पीना चाहिए?

जी हाँ, चयवनप्राश का सेवन दूध और पानी दोनों के साथ किया जा सकता है लेकिन हलके गुनगुने दूध के साथ च्यवप्राश का सेवन अधिक उत्तम है।

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